वैभवशाली, शक्तिशाली, संगठित व स्वाभिमानी भारत बनाना है – दत्तात्रेय होसबले जी रांची (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि हमें वैभवशाली, शक्तिशाली, चरित्रवान एवं संगठित भारत बनाना है. जिस भारत मां ने हमें सब कुछ दिया है, उसके लिए हम भी कुछ करना सीखें. स्वयंसेवक इसी भाव को लेकर काम भी करता है. वह पूरे देश को अपना मानता है. काम करने के दौरान उसके सामने किसी तरह का स्वार्थ नहीं रहता है. सह सरकार्यवाह जी रविवार 18 दिसंबर को रांची में स्वयंसेवकों (महानगर एकत्रीकरण) को संबोधित कर रहे थे. सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि पिछले 90 वर्षों से संघ का काम चल रहा है. कोई कहता है कि यह देश भक्त हिन्दुओं का संगठन है तो कोई कहता है कि इनका राजनीतिक एजेंडा है. यह सत्ता पर बिठाने व उतारने का काम करते हैं. परन्तु जो स्वयंसेवक हैं, वे जानते हैं कि संघ क्या काम करता है. संघ ने पहली बार देश में एक विचार, एक दिशा व एक पद्धति को लाने में सफलता प्राप्त की है. रांची की शाखा में जो काम होता है, वही काम कन्याकुमारी व सुदूर पूर्वोत्तर सीमा पर स्थित गांव में भी होता है. भारत का सांस्कृतिक ध्वज भगवा ही पूरे देश में फहराता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह अपनी मां की सेवा हम करते हैं, उसी तरह धरती मां की, जिसने हमें सबकुछ दिया है, सेवा करते हैं. इसके पीछे कोई स्वार्थ नहीं होता है. पूरे देश में स्वयंसेवकों द्वारा डेढ़ लाख जगहों पर सेवा का काम चल रहा है. परन्तु उनके पीछे कोई स्वार्थ नहीं रहता है. उन्हें ठेका व टिकट मिलने का लालच नहीं रहता है. वे जो कमाते हैं, उसमें से ही समाज के लिए कुछ जमा कर खर्च करते हैं. दत्तात्रेय जी ने कहा कि स्वयंसेवकों ने शाखा पर जिस अनुशासन को सीखा, उसे समाज में उतारने का काम किया. जो विरोधी हैं वे भी संघ के अनुशासन के कायल हैं. यह संगठन बिना किसी सरकारी अनुदान व चंदे से चलता है. स्वयंसेवक सभी काम अपने खर्च से करते हैं. परिवार चलाने के लिए जो कमाते हैं, उसी में से कुछ निकालकर संघ कार्य में भी लगाते हैं. स्वयंसेवक जब देश की सेवा करते हैं तो कोई स्वार्थ नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि जिस तरह भगत सिंह व गुरु गोविंद सिंह जी ने देश के लिए अपना जीवन दे दिया, उसी तरह स्वयंसेवक अपना काम करते हैं. भगत सिंह को जीवन में क्या मिला था. न भारत रत्न मिला, न अंग्रेजों ने कुछ दिया. उसी तरह गुरु गोविंद सिंह जी देश को बचाने के लिए जीवन भर संघर्ष करते रहे, परन्तु अपनों ने भी तिरस्कृत किया. दक्षिण में जाकर देह त्यागना पड़ा. स्वयंसेवक मुझे क्या मिला, इसके लिए नहीं, मैंने क्या दिया, इसके लिए काम करते हैं. संघ की शाखा संस्कार की शाला है. सह सरकार्यवाह जी ने शाखा की विशेषता बताते हुए कहा कि यहां हम लोग एक घंटा तनाव मुक्त रहते हैं. मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है. नेतृत्व की क्षमता विकसित होती है. राष्ट्र की जय चेतना का गान वंदेमातरम का भाव जागृत होता है. संघ की शाखा संस्कार की शाला है. जब जापान, जर्मनी, फ्रांस आदि विकसित हो सकते हैं तो अपना देश क्यों नहीं. इसके लिए हमें देश के सवा सौ करोड़ लोगों को जगाना होगा. देश को प्रधानमंत्री या किसी अवतारी पुरुष के भरोसे नहीं छोड़ सकते. हमें समाज के लोगों को जागृत करना होगा. सभी को ईमानदारी से काम करना होगा. हमें स्वर्णिम, समृद्ध, संगठित व सुशील भारत बनाना है. भारत को भगवान का आशीर्वाद तो है हमें और मेहनत करने की जरूरत है. एक घंटा शाखा पर नियमित आना होगा. स्वयंसेवकों के लिए पूरा देश अपना है. स्वयंसेवक कहता है मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित, चाहता हूं मातृ भू मैं तुम्हें कुछ और भी दूं. स्वयंसेवक भक्ति में सौदा नहीं करता है. उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों के लिए देश सबसे ऊपर है. इसी कारण कोई भी काम करने में हिचकता नहीं है. उसके लिए दिव्य गीता का संदेश भी वंदे मातरम है. सर्जिकल स्ट्राइक भी वंदे मातरम है. जिस तरह हम घर के कचरे को साफ करते हैं, उसी तरह बुराई को साफ करना चाहिए. एचईसी के जगन्नाथ मैदान में रविवार को रांची महानगर का एकत्रीकरण हुआ. इस मैदान में एक साथ 70 शाखाएं लगाई गई. एक साथ 70 ध्वज लगाए गए. सभी कार्यक्रम अपनी-अपनी शाखा के अनुसार हुए. कुल 1300 स्वयंसेवक उपस्थित रहे. सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी सेक्टर तीन की केशव प्रभात शाखा के स्वयंसेवकों के साथ थे. अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन जी, क्षेत्र संघचालक सिद्धिनाथ सिंह जी, क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर जी, क्षेत्र संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर जी, क्षेत्र सेवा प्रमुख अजय कुमार जी, प्रांत संघचालक देवव्रत पाहन जी, प्रांत कार्यवाह नवल किशोर लाल जी, सहित गणमान्यजन उपस्थित थे.