डॉ. मोहनराव भागवत, सरसंघचालक रा.स्व.संघ (अप्रैल 2003) मातृवन्दना जैसी जागरण पत्रिकांएं देश भर में तीन लाख से अधिक गांव मेें जा रही हैं और समाज का विश्वास प्राप्त कर रही हैं जबकि दूसरी ओर अन्य प्रचार माध्यम अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं।