समाज से विघटनकारी शक्तियों को करना होगा समाप्त – सीताराम व्यास जी मेले के आखिरी दिन संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम देखने पहुंचे एक लाख से अधिक लोग गुरुग्राम (विसंकें). हरियाणा में पहली बार गुरुग्राम के लेजरवैली पार्क में आयोजित हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले के अंतिम दिन देश की विभिन्न संस्कृतियों और सभ्यताओं का संगम दिखाई दिया. देश के अलग-अलग प्रदेशों से आए कलाकारों की बेहतरीन व मनमोहक प्रस्तुतियों को देखकर मेले में आने वाले दर्शक खुद को लोक गीतों पर झूमने से रोक नहीं पाए. चार दिवसीय मेले में दर्शकों को आध्यात्मिकता के साथ-साथ भारत की महान संस्कृति व यहां की प्रकृति से रूबरू होने का अवसर मिला. रविवार को अंतिम दिन लगभग एक लाख लोग मेले में पहुंचे. परमवीर वंदन में हजारों सैनिक, उनके परिवार के साथ-साथ विद्यार्थियों की संख्या भी काफी अच्छी रही. मेले में आने वाले दर्शकों को यहां प्राचीन गुरुकुल की शिक्षा पद्धति, देश के खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा, प्राचीन उपचार पद्धति, बांस पर चलने की कला से रूबरू होने का अवसर मिला. रविवार को सबसे पहले सद्भावना सम्मेलन हुआ, जिसमें सैंकड़ों साधु संतों ने हिस्सा लिया और बताया कि किस तरह देश की एकता और अखंडता के लिए समाजिक एकता जरूरी है. राजस्थान के चुरू जिले से आए जगदीश ने बताया कि मेले में उनके संगीत को अच्छा महत्व मिल रहा है. यहां आने वाले दर्शक संगीत को सुनने के बाद खुद को झूमने से नहीं रोक पाते. वहीं कठपुतली का खेल दिखा कर लोगों का मनोरंजन कर रहे राजस्थान के सीकर निवासी मोहन भट्ट ने कहा कि कटपुतली का खेल प्राचीन खेल है और इस खेल से जहां लोगों का मनोरंजन होता है, वहीं इससे लोगों को अच्छी शिक्षा भी मिलती है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का खुमार लोगों के सिर पर इस कदर छाया हुआ था कि वह चाह कर भी मेले में आने से अपने आपको नहीं रोक पा रहे थे. पैरों में दिक्कत होने की वजह से चलने-फिरने में असमर्थ दिव्यांगों के दिलों में भी मेले को लेकर इस कदर उत्साह भरा हुआ था कि उन्होंने अपनी परेशानियों को अनदेखा कर करते हुए व्हीलचेयर के सहारे मेला देखने के लिए पहुंचे. ‘हो मेरे यार सुदामा रै भाई बड़े दिनैं में आया’ गीत से यू-ट्यूब पर धमाल मचाने वाली रोहतक जिले के सांघी गांव के डॉ. स्वरूप सिंह राजकीय मॉडल संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्राएं भी अपने संगीत के अध्यापक सोमेश जांगड़ा के साथ मेले का भ्रमण करने पहुंची. छात्रा मुस्कान, रिंकू, विधि, मनीषा, ईशा व शीतल ने बताया कि आज तक उन्होंने ऐसा भव्य मेला नहीं देखा था. नई परंपरा का बीजारोपण कर गया हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला गुरुग्राम. मेला शब्द सुनते ही आमतौर पर मन में मौज-मस्ती के चित्र उभर आते हैं, लेकिन हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले ने मेले की परिभाषा को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले में लोगों को मौज-मस्ती के साथ-साथ आध्यात्मिक, संस्कृति, देश की परंपराएं, प्रकृति को नजदीक से देखने का मौका मिला. मेले ने एक नई परंपरा का बीजारोपण कर दिया, अब हर वर्ष इस मेले का आयोजन होगा और लोगों को इन मेलों के माध्यम से देश की संस्कृति, परंपराओं व आध्यात्म को समझने का मौका मिलेगा. हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले के अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने बताया कि हर वर्ष लगने वाले मेले में विज्ञान, समाज, धार्मिक और सेवा भाव के नए कार्यों को समाज के सामने रखा जाएगा. सामाजिक संस्थाओं ने दिखाया देश में किए जा रहे सेवा कार्यों का दृश्य भारत का इतिहास सेवा कार्यों से भरा है. हिन्दू अध्यात्मिक एवं सेवा मेले के माध्यम से जब निस्वार्थ भाव से समाज के कार्यों में जुटी सामाजिक संस्थाओं को अपने सेवा कार्यों का प्रदर्शित करने का मौका मिला तो यहां पहुंची 263 संस्थाओं ने दिखाया कि देश के करोड़ों गरीबों, मरीजों, जानवरों व जरूरतमंदों की किस तरह सेवा की जा रही है. इसके अलावा कई के धार्मिक स्टाल भी मेले में लगे. रामकृष्ण मिशन द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. अखिल विश्व गायत्री परिवार शांति कुंज हरिद्वार द्वारा भी अपने स्टाल के माध्यम से लोगों को जीवन जीने की कला से अवगत करवाया जा रहा है. विघटनकारी शक्तियों को करना होगा समाप्त – सीताराम व्यास जी हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेला के समापन समारोह से पूर्व आयोजित समरसता सम्मेलन समाज में फैली विघटनकारी शक्तियों को समाप्त करने के संकल्प के साथ समाप्त हुआ. सम्मेलन में मौजूद वक्ताओं और श्रोताओं ने एक स्वर में कहा कि सामाजिक समरसता के बिना मजबूत व विकसित राष्ट्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती. वक्ताओं ने गांव-गांव में भी इस तरह के सामाजिक समरसता सम्मेलन करने की आवश्यकता पर जोर दिया. मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र कार्यवाह सीताराम व्यास जी ने कहा कि छुआछूत पाप नहीं है तो दुनिया में दूसरा कोई और पाप नहीं हो सकता. उनके अनुसार सामाजिक समरसता के लिए हमारे महापुरुष, संत-महात्मा प्राचीन समय से ही प्रयास करते रहे हैं. उनके अनुसार आधुनिक युग में भी डॉ. भीमराम आंबेडकर, स्वामी विवेकानंद, दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी व महात्मा फुले जैसे अनेक महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने सामाजिक समरसता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. हम सबको मिलकर इस दिशा में अपने कर्तव्य का ईमानदारी से पालन करना होगा, तभी ऐसे सम्मेलनों की सार्थकता बन पाएगी. दिल्ली से आए महामण्डलेश्वर स्वामी नवलकिशोर जी ने भी रामायण काल के उदाहरण देते हुए बताया कि छुआछूत अपनी सनातन संस्कृति की भावना के विपरीत है. हम सब एक हैं, अनेकता में एकता भारत का मूल स्वरूप है. राष्ट्रीय अस्मिता व वैचारिक उत्थान के लिए ऐसे समरसता सम्मेलन पर अधिक बल दिया जाना चाहिए. स्वामी शरणानंद जी ने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के सम्मेलन शहरों के साथ ही गांव-गांव में किए जाने चाहिए. दीन-हीन, अहसाय व छुआछूत का दंश झेल रहे ग्रामीण अंचल के लोगों को इससे मुक्ति तभी मिलेगी जब गांव-गांव में इस तरह के सम्मेलन किए जाएंगे. दहिया खाप से विशेष तौर पर सम्मेलन में आमंत्रित सुरेंद्र दहिया जी ने कहा कि कुछ भ्रमित लोग समाज में विघटन का कारण बन रहे हैं. हमें ऐसी शक्तियों से सावधान रहने की आवश्यकता है. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि सामाजिक समरसता बनी रहेगी, तभी हम विकास के पथ पर बढ़ सकेंगे. अभी तक इस तरह की बातें खापों में होती थी, लेकिन यूं सम्मेलन आयोजित करके सामाजिक समरसता के लिए सरहानीय कार्य किया जा रहा है. सम्मेलन में परमानंद जी महाराज, गन्नौर से आए रवि शाह, रिटायर्ड आईएएस एससी चौधरी, स्वामी परमानंद जी, सोमानी ग्रुप के सतीश विश्वकर्मा के अलावा गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज ने भी आशीर्वचन देते हुए कहा कि यह सम्मेलन समाज को दिशा देने में निश्चित तौर पर सफल होगा. सम्मेलन में हरियाणा से आए लोगों ने कहा कि हरियाणा के प्रत्येक जिले में ऐसे सम्मेलन किए जाने चाहिएं. इस अवसर पर मेले के संरक्षक पवन जिंदल, अध्यक्ष राकेश अ्रग्रवाल, महासचिव विकास कपूर, सह सचिव योगेन्द्र मलिक, विद्याभारती के प्रदेश संगठन मंत्री बालकिशन एवं सहसंगठन मंत्री रवि कुमार, गौरक्षा प्रकोष्ठ के भानीराम मंगला, गुरुग्राम मार्केट कमेटी के चेयरमैन डॉ. सत्यप्रकाश कश्यप, पार्षद मधु आजाद आदि भी उपस्थित रहे.