भारत में जितनी आजादी मिली है, शायद ही विश्व के अन्य किसी देश में हो – संजीवन कुमार जी मानवाधिकार मंच हिमाचल ने केरल में हो रही हिंसा के विरोध में किया प्रदर्शन शिमला (विसंकें). मानवाधिकार रक्षा मंच हिमाचल प्रदेश ने शिमला में केरल में मार्क्सवादी (कम्युनिस्ट) सरकार के संरक्षण में राष्ट्रवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की श्रृंखलाबद्ध हत्याओं के विरोध में प्रदर्शन किया. राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भेजा. शिमला के जिला उपायुक्त कार्यालय के समीप आयोजित विरोध प्रदर्शन में विभिन्न सामाजिक तथा राजनैतिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया और ज्ञापन के माध्यम से आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया. केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के गठन के बाद से ही राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं और राजनैतिक विरोधियों की नृशंस हत्याओं का क्रम चल रहा है. मंच की सचिव हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता रीता गोस्वामी जी ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार के संरक्षण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा, भामसं एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं की जघन्य एवं नृशंस हत्याएं हो रही हैं और वहाँ के मुख्यमंत्री पी. विजयन इन घटनाओं की जानकारी होने पर भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं. इसके विपरीत शिकायत एवं विनम्र निवेदन करने पर राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं पर ही झूठे मामले दर्जकर उनको षड्यंत्र के तहत फंसाया जा रहा है. हद तो तब हो गयी जब कम्युनिस्ट विरोधी विचार की महिलाओं को भी नहीं बख्श रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिमाचल प्रांत प्रचारक संजीवन कुमार जी ने कहा कि जिस प्रकार की आजादी हमारे देश में है, उतनी आजादी आप चीन में मांग कर देखें तो स्पष्ट पता चलेगा कि आजादी के क्या मायने हैं. भारत में जितनी आजादी मिली हुई है, शायद ही विश्व के अन्य किसी देश में हो. ऐसे में रामजस कॉलेज में हुई घटना संकेत देती है कि हमारे देश के टुकड़े करने वाली विचारधारा के खात्मे के लिए लोगों को खड़े होने की जरूरत है. मंच के संयोजक सेवानिवृत्त एडीजीपी केसी सडयाल जी ने कहा कि केरल का प्रशासन पंगु हो गया है और राजनैतिक विरोधियों का दमन चरम पर है, यह मुगल काल की याद दिलाता है. अध्यक्ष पीसी कपूर जी ने कहा कि संघ को मैंने बड़ी नजदीकी से देखा है. संघ एक प्रखर राष्ट्रवादी संगठन है जो अपने कार्यकर्ताओं को व्यक्तिगत चरित्र के साथ-साथ राष्ट्रीय चरित्र निर्माण पर बल देता है. ऐसे संगठन के कार्यकर्ताओं से विद्वेष पूर्ण व्यवहार एवं उनको मौत के घाट उतारने का घृणित कार्य केरल के कम्युनिस्ट कर रहे हैं. राष्ट्रवादी संगठन के कार्यकर्ताओं को उनके परिवार के सम्मुख ही निर्ममता से मौत के घाट उतार देना, इससे निर्मम और कायरता पूर्ण हरकत कोई नहीं हो सकती. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेमकुमार धूमल ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा केरल में अकारण विरोधी विचार के कार्यकर्ताओं की निर्ममता से हो रही हत्याओं की कड़े शब्दों में भर्त्सना की तथा कहा कि वास्तव में केरल में मानवता की रूह कराह रही है. केरल में सरकारी संरक्षण में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी मौत के घाट उतारा गया है. कम्युनिस्टों के इन घृणित अपकृत्यों की जितनी भी निंदा की जाए उतनी ही कम है. उन्होंने रामजस कॉलेज में हुई घटनाओं को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इस घटना के बाद देशद्रोही लोग देशप्रेमियों के सामने आ गए हैं. भारतीय मजदूर संघ के सुरेन्द्र ठाकुर जी ने भी केरल में हो रही राजनैतिक विरोधियों की नृशंस हत्या के विरोध में अपना वक्तव्य दिया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि कम्युनिस्टों की विचार धारा का इसी बात से पता चलता है कि वे अपने राजनैतिक विरोधियों को किस प्रकार हिंसा फैलाकर मौत के घाट उतार देते हैं. कहीं दूर क्या देखना है, यहीं शिमला तथा प्रदेश के अन्य शिक्षा संस्थानों में मार्क्सवादी किस प्रकार हिंसा करते हैं. युवा पीढ़ी और समाज के प्रत्येक व्यक्ति को इस प्रकार की हिंसक विचारधारा से सचेत रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि केरल को हिन्दू विहीन करने का कम्युनिस्टों का दुःस्वप्न कभी सफल नहीं होने देंगे.