गंगा की अविरलता ही गंगा की निर्मलता और रक्षा का एकमात्र मार्ग हरिद्वार। प्राचीन श्रीराम मन्दिर, भोपतवाला में विश्व हिन्दू परिषद की केन्द्रीय मार्गदर्शक मण्डल की बैठक के प्रथम सत्र में दो प्रस्ताव – गंगा की अविरलता ही गंगा की निर्मलता और रक्षा का एकमेव मार्ग है, श्वेत क्रान्ति और भारत के गांव व गरीब किसान के विकास का मूलाधार गोवंश की रक्षा में सन्निहित है, पारित किए गए। जिन पर सभी सन्तों ने एकमत होकर अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का शुभारम्भ निवर्तमान शंकराचार्य पूज्य स्वामी सत्यमित्रानन्द गिरि जी महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महानिर्वाणी पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी विशोकानन्द जी महाराज तथा संचालन विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री चम्पतराय जी व उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र ने संयुक्त रूप से किया। पूज्य स्वामी सत्यमित्रानन्द जी ने कहा कि मेरा विश्व हिन्दू परिषद के साथ सम्बन्ध 1964 से है और तब से अब तक विश्व हिन्दू परिषद का एक सामान्य घटक होने के नाते मैं हर कार्यक्रम में उपस्थित रहा हूं। मैं आज पुनः संघ के तत्कालीन सरसंघचालक परमपूज्य श्रीगुरुजी को स्मरण कर रहा हूं। मुझे 15 वर्ष की आयु में उनकी गोद में बैठने का अवसर मिला। हम सब भगवान श्रीराम के उपासक हैं और श्रीराम भगवान शिव के उपासक हैं , दोनों ही हमें सिखाते हैं कि हमें विष पीने और अमृत बांटने का अधिकार है। विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्य ईश्वरीय कार्य है। यह हम मानेंगे तो आत्म-संतुष्टि होगी और विश्व का कल्याण होगा। जिस देश में ‘‘ यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते ’’ सिखाया गया, उस देश में आज टीवी खोलो तो बलात्कार की खबरें दिखाई देती है, यह पीड़ादायक है। हर गांव में हनुमान चालीसा और सुन्दरकाण्ड का पाठ होने लगे तो परिवर्तन आएगा। आज महिलाओं को किरण बेदी बनने की जरूरत है। मैं उस साध्वी के साहस को प्रणाम करता हूं, जिसने राजनैतिक नेता की गाड़ी को बदतमीजी करने पर तोड़ दिया। पीड़ा यह है कि इस देश का 85 प्रतिशत हिन्दू आज यह महसूस कर रहा है कि उसका रक्षक कोई नहीं है। जब तक यह चुनाव की पद्धति रहेगी, तब तक देश में भ्रष्टाचार नहीं रूकेगा, चाहे देश में एक की जगह मोदी सरीखे पचास नेता आ जाएं। आप पार्टी फण्ड के नाम पर चन्दा क्यों लेते हैं ? अगर आपका चरित्र अच्छा है तो लोग अपने आप पैसा देंगे। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज ने कहा कि केन्द्र सरकार की ‘‘ नमामी गंगे ’’ योजना स्तुत्य है और यह भविष्य के लिए सुखद संदेश है। आज आवश्यकता है कि जितना जल गंगोत्री से निकलता है, उतना ही गंगासागर तक पहुंचना चाहिए। अब तो हरिद्वार में भी गंगाजल नहीं मिल रहा है। हिमालय में विकास की जगह विनाश हो रहा है और गंगा को अप्राकृतिक ढंग से लाया गया है। गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक के तीर्थस्थानों के जो घाट हैं, वहां पर्याप्त मात्रा में गंगा की धारा नहीं पहुंच रही है। इसलिए गंगा की अविरलता, निर्मलता पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पूर्व गृहराज्य मंत्री पूज्य स्वामी चिन्मयानन्द जी महाराज ने कहा कि मोदी सरकार से सन्तों को बहुत आशा है। गंगा की पीड़ा को जानने वाला ही वास्तव में गंगा के लिए कुछ कर सकता है। कुछ दिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री से हुई वार्ता में भी गंगाघाटों पर जल का न पहुंचना बड़ी चिन्ता का विषय रहा। उन्होंने कहा कि गंगा की गहराई दिन ब दिन कम होती जा रही है, जिस कारण गंगाघाटों पर पर्याप्त जल नहीं पहुंचता। गंगा की अविरलता के बिना निर्मलता की बात नहीं की जा सकती। गंगा पर सरकार के मंथन में जो निकला है, वह सामने आना चाहिए। साथ ही उन्होंने गोरक्षा के लिए केन्द्र सरकार से सख्त कानून बनाए जाने की मां की। साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि गंगा को बांधों में बांधकर गंगा का गंगत्व समाप्त कर दिया है। गंगा में डूबकी लगाकर जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है, वहीं आज गंगा प्रदूषण विकट समस्या बन गया है। साध्वी मैत्रेयी गिरि ने कहा कि जिस देश के पूर्वजों की तपस्या से गंगा अवतरित हुईं, आज उसी माँ गंगा का जल प्रदूषित हो गया है। पूज्य स्वामी दयानन्द दास जी ने कहा कि गंगा नदी में राफ्टिंग बन्द होनी चाहिए। पूज्य स्वामी परमात्मानन्द जी ने कहा कि आज विकास की जो बात हो रही है, वह पश्चिम ने लिखी है और हमारा राष्ट्र उसी दिशा में जा रहा है। स्वर्गीय राजीव गांधी ने गंगा प्राधिकरण के लिए 11 हजार करोड़ रूपए दिए, लेकिन कहां गए पता नहीं। पूज्य राघवाचार्य महाराज जी ने पंचगव्य से बनने वाले उत्पादों पर जोर दिया। पूज्य संत ईश्वरदास जी महाराज ने कहा कि गौमाता की दुर्दशा देवभूमि में हो रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष डॉ प्रवीणभाई तोगड़िया ने कहा कि केन्द्र सरकार को गौहत्या बन्दी कानून लाना चाहिए। प्रत्येक हिन्दू को हर दिन एक रोटी गाय के लिए निकालनी चाहिए। हमारे देश में देसी गाय की नस्ल समाप्त होती जा रही है, इसके संरक्षण, संवर्धन के लिए आवश्यक है कि गोमूत्र व गोबर की उपयोगिता को हम समझें। अन्त में कार्यक्रम के अध्यक्ष पूज्य स्वामी विशोकानन्द जी महाराज ने कहा कि गौसेवा से हमें सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है। गाय की सेवा से बारह ज्योतिर्लिंगों की पूजा का फल प्राप्त होता है। गंगा की अविरलता, निर्मलता का संकल्प दोहराते कहा कि यदि हम आज भी अपनी मोक्षदायिनी माँ गंगा के प्रति जागरूक नहीं हुए तो हमारी आने वाली पीढि़यां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। आज जहां देश की यमुना, सरस्वती जैसी महानदियां विलुप्त होने के कागार पर हैं। वहीं साजिशन गंगा को भी समाप्त किया जा रहा है। बड़े-बड़े बांधों का निर्माण कर गंगा में अवरोध उत्पन्न किया जा रहा है, जो प्रकृति के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है।