प्रो. प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. (जनवरी 2008) मातृवंदना के 3 लाख पाठकों में से मैं भी एक नियमित पाठक हूं और मैं तो उस दिन प्रसन्न हूंगा जब हिमाचल के 60 लाख लोग इसे पढेंगे और घर- घर में संस्कार देने वाली पत्रिका उपलब्ध होगी. तभी भारत की संस्कृति सुरक्षित होगी और हिन्दू संस्कृति भी खिलेगी.