प्रशंसा पत्र मातृवंदना के 3 लाख पाठकों में से मैं भी एक नियमित पाठक हूं और मैं तो उस दिन प्रसन्न हूंगा जब हिमाचल के 60 लाख लोग इसे पढेंगे और घर- घर में संस्कार देने वाली पत्रिका उपलब्ध होगी. तभी भारत की संस्कृति सुरक्षित होगी और हिन्दू संस्कृति भी खिलेगी. प्रो. प्रेम कुमार धूमल, पूर्व मुख्यमंत्री हि.प्र. (जनवरी 2008)मातृवन्दना जैसी जागरण पत्रिकांएं देश भर में तीन लाख से अधिक गांव मेें जा रही हैं और समाज का विश्वास प्राप्त कर रही हैं जबकि दूसरी ओर अन्य प्रचार माध्यम अपनी विश्वसनीयता खोते जा रहे हैं।डॉ. मोहनराव भागवत, सरसंघचालक रा.स्व.संघ (अप्रैल 2003)मातृवन्दना की वेबसाईट शुरू होने पर बहुत बहुत बधाई। इससे पत्रिका का और विस्तार होगा। आज के युग में जिन लोगों के पास पुस्तकें पढने के लिये समय नहीं है, नेट पर मातृवन्दना उपलब्ध होने से उन्हे भी लाभ होगा. हरि राम धीमान नालागढवास्तव में मातृवन्दना जैसी पत्रिका और इस तरह की पत्रकारिता की आवश्यकता है ताकि लोगों को स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की जानकारी मिल सके। श्री वी.एस.कोकजे पूर्व राज्यपाल,हि.प्र.मैं पिछले दो साल से मातृवंदना का एक सतत पाठक हूँ. यह हमारी विचारधारा का वास्तविक दर्पण है कह सकते हैं. नए भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है यह पत्रिका.Dr Nitin Vyas